रविवार, 9 नवंबर 2008

ज़िन्दगी 'Live' त्रैमासिक पत्रिका, अक्टूबर-दिसम्बर,2008



































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































8 टिप्‍पणियां:

  1. आपका पत्रिका बहुत ही बढिया है, बहुत सुन्दर है, हम यदी अपने घर मंगवाना चाहें तो हमें क्या करना पड़ेगा,बहुत बहुत धन्यवाद

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  2. आदरणीया,


    इस पत्रिका के ब्‍लाग संस्‍करण के लिए बहुत बहुत बधाई ।

    इस संबंध में मेरा सुझाव है कि आप इसका टेक्‍स्‍ट वर्जन यहां प्रस्‍तुत करें, पीडीएफ या फोटो रूप में प्रदर्शन के लिए बेहतर है कि आप प्रत्‍येक पृष्‍ट का एक पोस्‍ट बनायें एवं मुख्‍य पृष्‍ट में लेख के शीर्षक के साथ लिंक देंवें । एक साथ सभी पेजों को एक ही पोस्‍ट में डालने से हमारे जैसे कई जो डायलअप या स्‍लो नेट का उपयोग करते हैं उन्‍हें इस पत्रिका की एक भी पृष्‍ट दिख नहीं पाता दूसरी बात यह कि जो निर्धारित बाईट्स के ब्राड बैंड उपभोक्‍ता हैं उन्‍हें एक साथ सभी पृष्‍टों के भार (मेगाबाईट्स के रूप में) का खर्च एक ही क्लिक में उठाना पडेगा जो पाठकों की सुविधा के अनुसार से उचित नहीं है ।
    मेरे कुछ प्रयास देखें -
    उदंती.काम गुरतुरगोठ.काम अगासदिया
    साहित्‍यशिल्‍पी

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  3. www.udanti.com
    www.gurturgoth.com
    www.sahityashilpi.com
    www.agasdiya.blogspot.com

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  4. आज मुझे आप का ब्लॉग देखने का सुअवसर मिला।
    वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है।

    ‘…हम तो ज़िन्दा ही आपके प्यार के सहारे है
    कैसे आये आपने होंठो से पुकारा ही नही…’’

    आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी और हमें अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे
    बधाई स्वीकारें।
    आप मेरे ब्लॉग पर आए, शुक्रिया.

    ‘मेरी पत्रिका’ में आज प्रकाशित नई रचना/पोस्ट पढ़कर अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएँ।
    आप के अमूल्य सुझावों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है...

    Link : www.meripatrika.co.cc

    …Ravi Srivastava

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  5. आपकी पत्रिका देखि बहुत अच्छी लगी और मैं यथासंभव सहयोग देने का प्रयास करूंगी.

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  6. Thanks to Comment on my Post.
    I m also a poet. But not very Good. I have wrriten some poems. if i want to publish that then what can i do for that. will please tell me.
    & i become to your friend, if u'll accept.
    mail me mayankmdgr@yahoo.com or l.o.v.e.g.u.r.u.0088@gmail.com.

    Mynk_Agrwal

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